कॉर्नेलिया सोराबजी (15 नवंबर 1866 - 6 जुलाई 1954) एक भारतीय महिला थी, जो मुम्बई विश्वविद्यालय से पहली महिला स्नातक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून का अध्ययन करने वाली पहली महिला थी।
"वास्तव में, किसी भी ब्रिटिश विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाली पहली भारतीय महिला, भारत की पहली महिला वकील और भारत और ब्रिटेन में कानून का अभ्यास करने वाली पहली महिला बैरिस्टर भी हैं।"
- 2012 में, लंदन के लिंकन इन में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया था। वे समाज सुधारक तथा लेखिका भी थीं।
- कॉर्नेलिया सोराबजी का जन्म 15 नवम्बर, 1866 को नासिक, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता, रेवरेंड सोराबजी करसेदजी, पारसी धर्म से ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे और एक मिशनरी थे। उनकी मां फ्रांसिना फोर्ड नारी शिक्षा की प्रबल पक्षधर थीं।
- 1892 में कॉर्नेलिया ने बैचलर ऑफ सिविल लॉ की परीक्षा पास करने वाली पहली महिला बनीं। लेकिन कॉलेज ने उन्हें डिग्री देने से मना कर दिया। क्योंकि उस काल में महिलाओं को वकालत के लिए रजिस्टर करने और प्रेक्टिस की इजाजत नहीं थी।
- 1894 में, कॉर्नेलिया सोराबजी भारत लौट आईं और पर्दानशीनों की ओर से सामाजिक और सलाहकारी कामों में शामिल हो गईं।
- 1904 में, बंगाल की कोर्ट ऑफ वार्ड में लेडी असिस्टेंट नियुक्त किया गया था और 1907 में इस तरह की प्रतिनिधित्व की आवश्यकता के कारण, सोराबजी बंगाल, बिहार, उड़ीसा और असम के प्रांतों में काम कर रही थीं।
- 1922 में ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में महिलाओं को डिग्री मिलनी शुरू हुई। इस कारण वह ब्रिटेन में वकालत नहीं कर पाईं।
- 1929 में कार्नेलिया हाईकोर्ट की वरिष्ठ वकील के तौर पर सेवानिवृत्त हुयीं, पर उसके बाद महिलाओं में इतनी जागृति आ चुकी थी कि वे वकालत को एक पेशे के तौर पर अपनाकर अपनी आवाज मुखर करने लगी थीं।
- अनुमान है कि सोराबजी ने 600 से अधिक महिलाओं और अनाथों को कानूनी लड़ाई लड़ने में मदद की, कभी-कभी कोई शुल्क नहीं लिया।
- सामाजिक और सुधार कार्य कोरलिया सोरबजी पर गूगल डूडल ने 15 नवंबर 2017 को उनका 151वें जन्मदिन को मनाया।
- कॉर्नेलिया सोराबजी का 6 जुलाई 1954 को लंदन के मैनोर हाउस में ग्रीन लेन्स पर नॉर्थम्बरलैंड हाउस में अपने लंदन के घर में निधन हो गया, कॉर्नेलिया अविवाहित थीं।
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