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"सरहदी गाँधी (Frontier Gandhi)" उर्फ़ ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान (Khan Abdul Ghaffar Khan) : गांधी का फरिश्ता

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खान गफ्फार खान महिला अधिकारों और अहिंसा के पुरजोर समर्थक थे. उनके इन सिद्धांतों के कारण भारत में उन्हें ‘फ्रंटियर गाँधी’ या सीमांत गांधी के नाम से पुकारा जाता है

"भारत रत्न ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान" सीमाप्रांत और बलूचिस्तान के एक महान राजनेता थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण "फ्रंटियर गांधी या सरहदी गांधी (सीमान्त गांधी), "बच्चा खाँ" तथा "बादशाह खान" के नाम से जाना जाता हैं। 20वीं शताब्दी में पख़्तूनों (या पठान; पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान का मुसलमान जातीय समूह) के सबसे अग्रणी और करिश्माई नेता थे, जो महात्मा गांधी के अनुयायी बन गए और उन्हें ‘सीमांत गांधी’ कहा जाने लगा।  

  1. 'फ्रंटियर गांधी यानि खान अब्दुल गफ्फार खान' का जन्म 6 फरवरी, 1890 को ब्रिटिश इंडिया में पेशावर घाटी के उत्मान जई में एक समृद्ध परिवार मैं हुआ था। उनके परदादा "अब्दुल्ला ख़ान" सत्यवादी होने के साथ ही लड़ाकू स्वभाव के थे। पठानी कबीलियों के लिए और भारतीय आजादी के लिए उन्होंने बड़ी बड़ी लड़ाइयाँ लड़ी थी। आजादी की लड़ाई के लिए उन्हें प्राणदंड दिया गया था।
  1. इसी प्रकार बादशाह खाँ के दादा 'सैफुल्ला खान' भी लड़ाकू स्वभाव के थे। उन्होंने सारी जिंदगी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  1. खान के पिता 'बैरम ख़ान' का शांत स्वभाव और ईश्वरभक्ति में लीन रहा करते थे। उनके पिता बैराम खान इलाके के एक समृद्ध ज़मींदार थे और स्थानीय पठानों के विरोध के बावजूद उन्होंने अपने दोनों बेटों को अंग्रेजों द्वारा संचालित ‘मिशनरी स्कूल' में पढ़ाया। 
  1. मिशनरी स्कूल की पढ़ाई समाप्त करने के पश्चात् वे अलीगढ़ गए किंतु वहाँ रहने की कठिनाई के कारण गाँव में ही रहना पसंद किया।
  1. राजनीतिक असंतुष्टों को बिना मुक़दमा चलाए नज़रबंद करने की इजाज़त देने वाले रॉलेट एक्ट के ख़िलाफ़ 1919 में हुए आंदोलन के दौरान ग़फ़्फ़ार ख़ां की गांधी जी से मुलाक़ात हुई और उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया।
  1. 1929 में कांग्रेस पार्टी की एक सभा में शामिल होने के बाद ग़फ़्फ़ार ख़ां ने ख़ुदाई ख़िदमतगार (ईश्वर के सेवक) की स्थापना की और पख़्तूनों के बीच लाल कुर्ती आंदोलन का आह्वान किया। खुदाई खिदमतगार, गांधीजी के अहिंसा आंदोलन से प्रेरित था। 
  1. महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने वाले बच्चा खान को 23 अप्रैल, 1923 को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। 
  1. फ्रंटियर गांधी और महात्मा गांधी एक दूसरे के बहुत करीब माने जाते थे, दोनों ने मिलकर गंगा-जुमनी तहजीब और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम किया था।

"खुदाई खिदमतगार" के समर्थन में लोग पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार (Qissa Khwani Bazaar) में इकट्ठा हुए। अंग्रेजों ने इन लोगों पर मशीनगन से गोली चलाने का आदेश दे दिया।लेकिन चंद्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट ने अहिंसक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया। बाद में चंद्रसिंह गढ़वाली और उनके सैनिकों को कोर्ट मार्शल की कार्रवाई झेलनी पड़ी। खान अब्दुल गफ्फार खान देश के बंटवारे के बिल्कुल खिलाफ थे। जब कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की मांग को स्वीकार कर लिया तो इस फ्रंटियर गांधी ने कहा था:- "आपने तो हमें भेड़ियों के सामने फेंक दिया है।"  

  1. 21 मार्च, 1931 को लंदन द्वितीय गोल मेज सम्मेलन के पूर्व महात्मा गांधी और तत्कालीन वाइसराय लार्ड इरविन के बीच एक राजनैतिक समझौता हुआ जिसे 'गांधी-इरविन समझौता' कहते हैं। 
  1. जून, 1947 में खान साहब और उनका संगठन खुदाई खिदमतगार एक "बन्नू रेजोल्यूशन (Bannu Resolution)" लेकर आया, जिसमें पश्तूनों के लिए अलग देश 'पश्तूनिस्तान' की मांग की थी। हालांकि अंग्रेजों ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया। 
  1. खान अब्दुल गफ्फार खान को 1987 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मनित किया गया। जो पहले गैर-भारतीय थे।  
  1. 20 जनवरी, 1988 में जब खान अब्दुल गफ्फार खान का निधन हुआ तो उस समय भी वह पेशावर के हाउस अरेस्ट थे। उनकी इच्छा के अनुसार, मृत्यु के बाद उन्हें अफगानिस्तान के जलालाबाद में दफनाया गया। उनके अंतिम संस्कार में 2 लाख से भी ज्यादा लोग शामिल हुए जो उनके महान व्यक्तित्व का परिचायक था।
  1. इनका संस्मरण ग्रंथ "माई लाइफ़ ऐंड स्ट्रगल" 1969 में प्रकाशित हुआ।

अस्वीकरण: इस लेख में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों, दंतकथाओं और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं।

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