विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है, नए वर्ष का पहला दिन ग्रेगोरियन और जूलियन कैलेंडर दोनों के उपरान्त मनाया जाता है।
नव वर्ष या नया साल एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है।
- रोम के शासक जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया।
- हिन्दुओं का नव वर्ष चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन अर्थात् वर्ष प्रतिपदा एवं गुड़ी पड़वा पर, प्रत्येक वर्ष विक्रम संवत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होता है।
- महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है।
- सिखों के द्वारा नवनिर्मित नानकशाही कैलंडर के अनुसार सिख नव वर्ष चैत्र संक्रांति को मनाया जाता है।
- मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है। गुजराती नया साल दीपावली के दूसरे दिन होता है। इस दिन जैन धर्म का नववर्ष भी होता है।
- भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
- इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। इस्लामी कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है।
- बाकी दुनिया में ज्यूलियन कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता है जबकि रूस में जॉर्जियन। दोनों कैलेंडरों में 13 दिन का फर्क होता है।
0 टिप्पणियाँ