इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (Indira Gandhi National Open University), भारतीय संसदीय अधिनियम के द्वारा सितम्बर, 1985 में स्थापित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है।
भारत के पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना 19 नवम्बर, 1985 में 20 मिलियन के बजट के साथ की गई, भारत की संसद ने बाद में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय अधिनियम, 1985 (इग्नू अधिनियम 1985) पारित किया।
- अगस्त 1985 में संसद के दोनों सदनों ने विधेयक पारित किया, इसके बाद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय 20 सितंबर 1985 को अस्तित्व में आया, जिसका नाम दिवंगत प्रधान मंत्री के नाम पर रखा गया था।
- 1970 में, शिक्षा और समाज कल्याण मंत्रालय ने '' ओपन यूनिवर्सिटी'' पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, यूनेस्को, यूजीसी और भारतीय राष्ट्रीय आयोग के द्वारा समर्थित था।
- भारत सरकार ने 1974 में मुक्त विश्वविद्यालय के लिए आठ सदस्यीय वर्किंग ग्रुप नियुक्त किया, जिसका नेतृत्व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपतिजी.पार्थ सारथी कर रहे थे।
- विश्वविद्यालय का शुभारंभ वर्ष 1987 में दो शैक्षिक कार्यक्रमों - प्रबंधन में डिप्लोमा और दूर शिक्षा में डिप्लोमा से हुआ और कुल 4,528 विद्यार्थियों से हुआ।
- इग्नू ने सार्क कंसोर्टियम आन ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (SACODiL) और ग्लोबल मेगा यूनिवर्सिटी नेटवर्क (GMUNET) आयोजन किया है, जो आरंभ में यूनेस्को द्वारा समर्थित था।
- 1999 में, इग्नू ने भारत में पहला आभासी कैंपस लॉन्च किया, जो इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर और सूचना विज्ञान पाठ्यक्रमों के वितरण के साथ शुरू हुआ।
- इग्नू को इग्नू अधिनियम 1985 की धारा 5(1)(iii) के तहत डिग्री देने का अधिकार दिया गया है।
- इग्नू को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- इग्नू, दूरस्थ शिक्षा परिषद (डीईसी) के माध्यम से भारत में ओपन यूनिवर्सिटी और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के लिए एक मान्यता प्राप्त अधिकारी के रूप में भी काम करता है।
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