Dear Readers,
हिंदू धर्म में विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जो दो व्यक्तियों को जीवन भर के लिए एक साथ जोड़ता है। विवाह न केवल दो लोगों को बल्कि दो परिवारों को एक करता है, इसलिए शादी में कई पवित्र और महत्वपूर्ण रस्में की जाती हैं, जो वर-वधू के आने वाले जीवन के लिए काफी शुभ मानी जाती हैं। वरमाला को वर-वधु द्वारा एक दूसरे को जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करने का प्रतीक माना जाती है।
- धार्मिक दृष्टिकोण से विवाह एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य है।
- विवाह को एक सामूहिक कर्म माना जाता है, जिसे दोनों पक्षों द्वारा सहमति से निर्धारित किया जाता है।
- विवाह एक प्रतिज्ञा है, जो दो व्यक्तियों को एक दूसरे के साथ वफादारी, समझदारी, सहयोग और संवेदनशीलता के साथ जीवनभर के लिए बांधती है।
- शास्त्रों में बताया गया है कि विवाह एक पवित्र बंधन होता है जो वर वधू के साथ साथ उनके परिवारों को भी एक सामाजिक रिश्ते मे जोड़ता है।
- विवाह संस्कार में वर वधू जीवन भर प्रेम, सहयोग, समझदारी और वफादारी की भावना लिए एक दूसरे का साथ निभाते हैं।
- विवाह की रस्मों में एक रस्म है वर वधू की वरमाला की रस्म जिसे जयमाला की रस्म भी कहा जाता है।
- उल्लेख मिलता है कि वर वधू की जयमाला की रस्म उनके आपसी प्रेम का प्रतीक होती है।
- पौराणिक काल में गंधर्व विवाह के दौरान वर वधू सिर्फ वरमाला पहनाकर ही एक दूसरे को स्वीकार करते थे।
- पौराणिक काल में विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन भी किया जाता था जिसमे वधू फूलों से बनी हुई माला योग्य वर के गले में पहनाकर उसे पति रूप मे स्वीकार करती थीं।
- विष्णु पुराण के अनुसार, जब समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई तब लक्ष्मी जी के हाथ में फूलों की माला थी और उसी फूलों की माला को विष्णु जी के गले में पहनाकर लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को अपना पति स्वीकार किया था।
- शिव पुराण के अनुसार, शिव-पार्वती विवाह के समय माता पार्वती ने भी भगवान शिव को वरमाला पहनाई थी। इसलिए हिंदू विवाह संस्कृति में वरमाला की रस्म बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।
प्रेम का प्रतीक होती है वरमाला
![]() |
धर्म-ग्रन्थों के अनुसार, वर और वधू एक-दूसरे को फूलों से बनी माला पहनाते है। सुंगंधित फूलों से बनी हुई वरमाला नव दंपति के जीवन में मधुरता बनाए रखने का प्रतीक होती है।
- धार्मिक परंपरा के अनुसार विवाह में वधू का वरमाला पहनना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- भारतीय विवाह में वरमाला काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, क्योंकि यह फूल उत्साह और सुंदरता का प्रतीक होते हैं।
- मान्यता है कि जब वर वधू एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं तो वर वधू के मन में एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव आता है।
- शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती ने भी शादी के समय एक दूसरे को वरमाला पहनाई थी।
- विष्णु पुराण के अनुसार, माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी और उन्होंने भगवान विष्णु को माला पहनाकर अपने वर के रूप में स्वीकार किया था।
- माला बनाने के लिए खुशबूदार फूलों का उपयोग किया जाता है ताकि वर-वधू का जीवन भी खुशियों से भरा रहें।
- विवाह में वरमाला दूल्हे की तरफ से लाई जाती है, जो वर और वधू एक-दूसरे के गले में डालते हैं।
- विवाह में जयमाला दूल्हा और दुल्हन के बीच के प्रेम का प्रतीक होती है
- प्राचीन कथा के अनुसार, राजा दुष्यंत ने शकुन्तला नाम की एक कन्या के साथ गंधर्व विवाह किया था।
- वरमाला में जैसे धागा फूलों को बांधे रखता है, ठीक उसी प्रकार जयमाला रस्म के बाद वर-वधू भी एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं।
- वरमाला पहनाकर वर वधू दोनों एक दूसरे को अपने नए दांपत्य जीवन की बधाई देते हैं।
0 टिप्पणियाँ